युवा हो गया मीडिया

पिछले दिनों फैशन टी वी पर यह कह कर प्रतिबंध लगाया गया कि उस पर फैशन कार्यक्रमों की आड़ में अश्लीलता परोसी जा रही है। प्रतिबंध लगा और हट भी गया, लेकिन इस से किसी को कोई फर्क नहीं पडा। क्योंकि अब हमारे देश का दर्शक वर्ग उत्तेजक दृश्यों के लिए कुछ गिने-चुने अंग्रेजी चैनलों पर ही निर्भर नहीं रह गया है। न्यूज़ मीडिया ने अंग्रेजी चैनल्स के एकाधिकार को समाप्त कर दिया है। अपराध बुलेटिनों के नाम पर रोज़ रात को सोने से पहले किसी के यौन-शोषण, अश्लील एसएमएस, बलात्कार, अवैध संबंध, देह व्यापार और बार-डांस, की घटनाओं का जो परत-दर-परत विश्लेषण दिखाया जाता है वह देश में वी टी वी, एम टी वी, एफ़ टी वी और इस प्रकार के अन्य विदेशी चैनल्स के महत्व को कम करने के लिए पर्याप्त है।
जो कुछ क़सर इस क्षेत्र में बाक़ी थी भी उसको पूरा करने के लिए देश भर के सिने कलाकारों और कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रसेवा की भावना से भर कर मीडिया का साथ देने का निश्चय किया है। जिस दिन 'दुर्भाग्यवश' उक्त किस्म की कोई घटना प्रकाश में आने को तैयार नहीं होती उस दिन कोई न कोई सेलिब्रिटी किसी न किसी कार्यक्रम में किसी न किसी सेलिब्रिटी को चूम लेती है, और हो जाता है समस्या का समाधान। इस प्रकार यौन-विषयों पर शोध कर रहे आधुनिक वात्स्यायनों की भीष्म-प्रतिज्ञा खंडित होने से बाल-बाल बच जाती है। यदा-यदा हि यौनस्य, ग्लानिर्भवति चैनल:.....
कुल १० सैकेंड के चुम्बन काण्ड को १३-१४ घंटे तक कैसे दिखाना है, इस कार्य में हमारे मीडिया को वीरगाथा काल के कवियों से विशेष प्रशिक्षण प्राप्त है। पहले डेढ़-दो घंटे तक चुम्बन दृश्य का रीप्ले होता है और पीछे से एंकर की आवाज़ रनिंग कमेंट्री की तर्ज़ पर निरंतर सुनाई देती है- "आप देख सकते हैं कि किस प्रकार 'सर-ए-आम' शिल्पा शेट्टी को अअअ... आलिंगन में भरते हुए किस्स्स्स्स्स किया रिचर्ड ने। (रीप्ले) ....एक बार फिर हम अपने दर्शकों को दिखा रहे हैं ताज़ा तस्वीर पूरे घटनाक्रम की.... एड्स अवेयरनेस का कार्यक्रम था जिसमें रिचर्ड ने 'सर-ए-आम' शिल्पा शेट्टी को किस किया। (रीप्ले) .....एक बार फिर से देखिए वो तस्वीरें जिनमें मुस्कुराते हुए रिचर्ड गेरे बिना किसी हिचकिचाहट के 'सर-ए-आम' शिल्पा को चूम रहे हैं.......... किसी भी तरह की कोई झिझक या तनाव नहीं दिखाई दे रहा है शिल्पा शेट्टी के चेहरे पर।"
इस प्रकार, जब उस दृश्य को देखकर बोले जा सकने वाले तमाम वाक्य दर्शकों को कंठस्थ हो जाते हैं तब तक गैस्टगण स्टूडियो में पहुंच चुके होते हैं। फिर इस मुद्दे पर ज़बरदस्त बहस होती है। फिर उन लोगों से सम्पर्क साधा जाता है जो बुद्धिजीवी होते हुए भी कुछ विशेष आर्थिक कारणों से स्टूडियो तक नहीं पहुंच सके। उसके बाद सीन पर मौजूद हस्तियों से सम्पर्क साधा जाता है। और खबर के सभी पक्षों का मत जानने के लिए घटनास्थल पर मौजूद पत्रकार कार्यक्रम में मौजूद दर्शकों से बातचीत करता है-
"आप उस वक़्त कार्यक्रम जी हाँ मैं, उस समय आगे से दूसरी जी हाँ मैं?"
"जी हाँ! मैं उस समय आगे से दूसरी पंक्ति में आठवीं कुर्सी पर पैर ऊपर करके बैठा था। और उस समय मेरी गर्दन....."
"तो आप यह बताइये कि कैसे हुआ ये सारा घटनाक्रम?"
"...बस शिल्पा शेट्टी ने रिचर्ड गेरे को मंच पर बुलाया और फिर रिचर्ड गेरे ने आकर शिल्पा शेट्टी का हाथ पकड़ लिया और फिर उसको अपनी और खींच लिया और गले लगा लिया जी। अजी शिल्पा शेट्टी चाहती तो उस अंग्रेज़ को थप्पड़ मार सकती थी लेकिन जी उसको तो इस सब की आदत है जी।"
इसके बाद पत्रकार और एंकर के बीच कुछ अध्यक्षीय स्तर की बातचीत होती है। इस प्रकार १२-१३ घंटे के कठोर परिश्रम के बाद पत्रकारों का पूरा दल प्रदत्त विषय पर शोध ग्रंथ तैयार कर देता है।
ऐसा ही एक अन्य उदाहरण पिछले दिनों एक दक्षिण भारतीय अभिनेत्री के अश्लील एमएमएस का हो सकता है। किसी मसाज पार्लर में बने इस एमएमएस का शालीनिकरण कर सभी न्यूज़ चैनल्स ने प्रसारित किया। इस के साथ ही सनद स्वरूप उक्त अभिनेत्री के किसी पुराने एम एम एस की भी झलक दिखाई गयी जिसमें उसको नहाते हुए दिखाया गया है। इन दोनों ही कार्यक्रमों को प्रसारित करते समय स्क्रीन के कुछ हिस्सों को अर्द्धपारदर्शी पट्टी से ढँक दिया गया था और साथ ही हैडर और फूटर में उन वेबसाईट का नाम दिया गया था जहाँ से न्यूज़ चैनल्स ने उक्त क्लिप साभार प्राप्त की थी।
यह तो था प्रदर्शित सत्य, लेकिन इन दृश्यों के साथ वेबसाईट का नाम देने के पीछे एक मूक संदेश था- "प्रिय दर्शकों! कुछ अनर्गल कानूनों की वजह से हम आपको ये दृश्य पूरी तरह नहीं दिखा पा रहे हैं। इसके लिए हम क्षमाप्रार्थी हैं। लेकिन आपकी सुविधाओं और रुचियों का ध्यान रखते हुए हमने इस कार्यक्रम का प्रसारण ऐसे समय पर किया है जब सभी सरकारी कार्यालय बंद हो चुके हैं। सो इस से पहले कि हमारे चैनल पर प्रसारित होने के कारण इस खबर पर कोई कार्रवाई हो और सरकार उक्त साईट को बैन कर दे, आप तुरंत अपना इंटरनैट खोलिए और इन क्लिप्स को डाउनलोड कर लीजिये। आपके पास पूरे १२ घंटे का समय है। काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में एक्शन होएगा, लॉगिन करेगा कब।"
दरअसल इस प्रकार की ख़बरों में समाचार चैनल्स कि विशेष रूचि का कारण यह है कि ऐसी एक ही खबर मीडिया के तीनों लक्ष्यों (शिक्षा, सूचना और मनोरंजन) को लक्ष्य करती है। समाचार जगत की अन्य किसी विधा में इतना बूता नहीं है।
इस सारी समीक्षा का लब्ब-ओ-लुआब यह है कि हमारा मीडिया पूरी तरह जागृत है और मैच्योर हो गया है। यही कारण है कि अपने बचपन के दौर में भारतीय पत्रकारिता देश-भक्ति के गीत गाया करती थी, और यौवन आते-आते कॉलेज लाइफ को ऎन्जॉय करने लगी। सो देश-भक्ति की बोर और बचकानी बातों की संकीर्ण मानसिकता से बाहर आकर ग्लोबल वे में उन विषयों पर खुलकर चर्चा करने लगा है जिन्हें छूना बच्चों के लिए निषेध होता है। शरीर विज्ञान की भाषा में कहें तो मीडिया में अब हार्मोनल चेंज आ गए हैं।